Saturday, June 9, 2007

प्राइमरी व जूनियर विद्यालयों के हेडमास्टर सीखेंगे नेतृत्व के गुर

गाजियाबाद। बेसिक शिक्षा विभाग में हेडमास्टरों को नेतृत्व व प्रबंधन के गुर सिखाने की जरूरत महसूस की गई है। इसी को लेकर विभाग ने हर ब्लाक में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया है। इसमें प्राइमरी व जूनियर विद्यालयों के हेड मास्टरों को अपडेट किया जा रहा है। समय-समय पर इस तरह की बातें सामने आती रही हैं कि परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों व हेडमास्टरों का रवैया व्यावहारिक व सामयिक नहीं है। वो आज भी पुराने परंपरागत अंदाज में काम करते हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो लगभग 50 साल की उम्र पर पहुंचने के बाद भी प्रधानाध्यापकों को कागजी रिकार्ड तक मेनटेन करना नहीं आता और उसमें सहायक अध्यापकों की मदद ली जाती है। लगभग 25 फीसदी प्रधानाध्यापक तो इस तरह के हैं जिनसे निरीक्षण के दौरान यदि रजिस्टर मांग लिया जाए तो वो रजिस्टर तक उपलब्ध नहीं करा पाते। इसी बात को ध्यान में रखते हुए विभाग ने जून माह को प्रशिक्षण के लिए समर्पित किया है। अभी तक आठ ब्लाक व नगर क्षेत्र में तीन-तीन दिन के प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा चुके हैं जिनमें जिले भर के प्राइमरी स्कूलों के 801 प्रधानाध्यापकों में से 700 ने भाग लिया। शिविरों में उन्हें विद्यालय चलाने के लिए नेतृत्व व प्रबंधन के गुर सिखाए जा रहे हैं। प्रशिक्षण के समन्वयक बी.वी.पंत ने बताया कि शिविर जून माह में जारी रहेंगे और 11 जून से जूनियर विद्यालय के प्रधानाध्यापकों का प्रशिक्षण शुरू कराया जाएगा। वह मानते हैं किकेवल एक बार इस तरह के शिविर लगाकर ही स्थिति में बदलाव संभव नहीं है, क्योंकि यह एक धीमी प्रक्रिया है, जहां सोच को बदलना है।

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